मनुष्य भव प्राप्ति का विवरण | Manusya Bhav Prapti ka vivran

हमारे कुल मनुष्य भव कितने होते है? कृपया उनका विवरण बताइए।

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शायद यही आपका तात्पर्य है!:point_up:

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निगोद से निकलने के बाद वैसे तो यह जीव अनन्तों बार मनुष्य बन सकता है लेकिन लगातार कोई मनुष्य से मनुष्य बने तो अड़तालीस भव तक मनुष्य बन सकता है, उसमें चौबीस भव पर्याप्त मनुष्य -स्री, पुरुष, नपुंसक, तीनों के, बीच में एक अन्तर्मुहूर्त के लिए लब्धि अपर्याप्त, फिर स्री, पुरुष, नपुंसक इन तीनों भेदों में आठ-आठ भव, इस प्रकार चौबीस भव। कुल मिलाकर लगातार कोई मनुष्य से मनुष्य हो, तो उसका काल सैंतालीस पूर्व कोटि + तीन पल्य है, जो अन्तिम काल भोग भूमि का जोड़ के, यानि अड़तालीस भव मनुष्य जीवन के अधिकतम। पर इसका तात्पर्य यह नहीं कि त्रस पर्याय के काल में कुल अड़तालीस भव ही मनुष्य को मिलते हैं, त्रस पर्याय को प्राप्त करने के बाद मनुष्य अनेक भवों को प्राप्त कर सकता है। आगम में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि अड़तालीस भव ही प्राप्त करेगा। हाँ लगातार कोई मनुष्य से मनुष्य बनेगा तो अड़तालीस भव ही बनेगा बीच में एक भव का अन्तराल पाकर पुनः अड़तालीस बार बन सकता है।

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