निगोद से निकलकर maximum 48 भव ही मनुष्य पर्याय की प्राप्ति

यह जीव 2000 सागर वर्ष के लिए निगोद से निकलकर अन्य पर्याय को प्राप्त करता है जिसमें अधिक से अधिक 16 स्त्री , 16 पुरुष, और 16 नपुंसक की पर्याय होती हैं। तो यह क्यूं कहा जाता है कि हमको अपनी स्त्री पर्याय का छेदन करना चाहिए, क्या हम 16 स्त्री के भव अपने पुरुष भव को ट्रांसफर कर सकते हैं ? हो सकता है की हमको स्त्री की पर्याय में समय दर्शन की प्राप्ति हो जाए ।

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48 भवों का रहस्य

देखिए, यह जो आपने कथन किया है। यह आगम कथन नहीं है, प्रचलित कथन है।
आगम में – उत्कृष्ट आयु के लगातार 48 भाव हो सकते हैं।(अर्थात 47 भव 1कोटि पूर्व - 1 कोटि पूर्व के होते हैं और 48 वां भाव भोग भूमि में 3 पल्य का होता है। इसप्रकार यदि कोई लगातार मनुष्य पर्याय को धारण करे तो वह 47 कोटि पूर्व और 3 पल्य तक मनुष्य पर्याय धारण कर सकता है।)
प्रचलित कथन – उत्कृष्ट आयु के लगातार 48 भवों को संक्षिप्त में मनुष्य के 48 भव कहा जाता है)
•अल्प आयु के भव तो असंख्यात धारण कर सकते हैं।
साधिक 2000 सागर के अंतर्गत ही धारण करते हैं।
2000 के आगे जो साधिक लगाया है , उसी साधिक के अंतर्गत अल्पआयु के असंख्यात भव और उत्कृष्ट आयु के 48 भव होते हैं।
•ऐसा नियम नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति उपर्युक्त सभी भवों को धारण करे। हीन अधिक भवों को धारण करते हैं।

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Kahi suna h ki 48 me se 16-16 bhav purush,stri aur napunsak k hote h.
Aur usme bhi 8 paryapt aur 8 aparyaptk kya ye bhi shi h???

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निगोद से निकल कर जीव को 2000 सागर और 96 कोटि लाख पूर्व का समय मिलता है
2000 सागर नरक या स्वर्ग
48 लाख कोटि तिर्यंच
16 लाख कोटि पुरुष
16 लाख कोटि स्त्री
16 लाख कोटि नपुंसक

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