मङ्गलायतन में पञ्च कल्याणक जय-जय आदिनाथ रे,
चौबीसों जिनराज रे।।
अलीगढ़ शहर में गर्भ-कल्याणक अन्तिम गर्भ महान रे,
जय-जय ऋषभकुमार रे॥ टेक॥
सर्वार्थ सिद्धि से प्रभु जी पधारे, अयोध्या नगर में आनन्द छाए।
खुशियाँ अपरम्पार रे, जय-जय ऋषभकुमार रे ॥१॥
पुष्प और रत्नों की वर्षा, सुरपति करके हरषा-हरषा।
देव करे जयकार रे, जय-जय ऋषभकुमार रे ॥२॥
सोलह सपने माँ ने देखे, उनके फल राजा से पूछे ।
अचरज में है मात रे, जय-जय ऋषभकुमार रे ॥३॥
देवी छप्पन आईं कुमारी, माता की सेवा सुखकारी।
मन में माँ हर्षाय रे, जय-जय ऋषभकुमार रे ॥४॥