मंगलमय अरु मंगलकारी
मंगलमय अरु मंगलकारी, शासनध्वज लहराता।
अनेकांतमय वस्तु व्यवस्था, का यह बोध कराता।।
स्याद्वाद शैली से जग का , संशय तिमिर मिटाता।
चहुँँ गति दुःख नशाता, जन गण मन हर्षाता।।
जिन शासन सुखदाता।।
सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चरणमय मुक्तिमार्ग दर्शाता।
जय हे… जय हे… जय हे… जय जय जय जय हे।
शासनध्वज लहराता।।