मंगल महोत्सव में साधर्मी आइये | Mangal Mahotsav me Sadharmi aaiye

मंगल महोत्सव में साधर्मी आइये…२
अध्यात्म सागर में डूबकी लगाइये…२

निज कल्याण की भावना भाइये,
आइये आइये साधर्मी आइये।
मंगल महोत्सव में साधर्मी आइये…

पुण्य फला है भव्यजनों का, मंगल अवसर आया,
जिनदर्शन से निजदर्शन का, पावन अवसर आया।
दृष्टि में एक स्व ज्ञायक लखाइये, सिद्ध समान सुख निज में ही पाइये ॥१॥

शान्ति सुधा रत्नाकर प्रभुवर, इस भूतल पर आये,
शिव रमणी के नाथ जिनेश्वर, मुक्ति मार्ग दिखलाये।
बहुत काल बीता अब समय न गवाइये, शिवपुर के मारग पर कदम बढ़ाइये ॥२॥

धन्य धन्य गुरुवर कहान निज, ज्ञायक प्रभुता दर्शायी,
जिन सिद्धान्त की गौरव गाथा, स्वर्णपुरी में है गायी।
निज का स्वभाव लख सहज सुख पाइये, भूले तो तजो पर स्वभाव न भुलाइये ॥३॥

रचनाकार: डॉ० विवेक जैन, छिंदवाड़ा

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