मंगल बेला आई रे | Mangal bela ayi re

(तर्ज- ज्ञान की उड़े रे गुलाल…)
मंगल बेला आई रे, जिनदर्शन करो-जिनपूजन करो।
तत्त्वज्ञान करो, आत्मध्यान करो, पाओ पद निर्वाण रे। टेक।।

जिनदर्शन से पाप कटत हैं, जिन दर्शन से मोह नशत है।।1।।
महाभाग्य जिन दर्शन पावे, निज पर भेदविज्ञान जगावे।।2।।
साक्षी में जिनवर की ज्ञानी,करें स्वानुभव मुक्ति निशानी ।।3।।
जाने सब संसार असारा,धारे निर्ग्रन्थ पद अविकारा।।4।।
आत्म ध्यान धरि कर्म नशावे, प्रभु सम निज प्रभुता प्रगटावें ।।5।।

Artist - ब्र.श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’

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