मैं महा पुण्य उदय से | Main Maha punya Uday

मैं महापुण्य उदय से जिनधर्म पा गया ॥

चार घाति कर्म नाशे ऐसे अरहंत हैं,
अनंत चतुष्टय धारे श्री भगवंत हैं,
मैं अरहंत देव की शरण आ गया ॥(1)

अष्ट कर्म नाश किये ऐसे सिद्ध देव हैं,
अष्ट गुण प्रगट जिनके हुए स्वयमेव हैं,
मैं ऐसे सिद्ध देव की शरण आ गया ॥(2)

वस्तु का स्वरूप बतावे वीतराग वाणी है,
तीन लोक के जीव हेतु महाकल्याणी है,
मैं जिनवाणी माँ की शरण में आ गया ॥(3)

परिग्रह रहित दिगम्बर मुनिराज हैं,
ज्ञान ध्यान सिवा नहीं दूजा कोई काज है,
मैं श्री मुनिराज की शरण आ गया ॥(4)

Artist - अज्ञात

9 Likes