मैं देखा अनोखा ज्ञानी वे || टेक ||
लारैं लागि आन की भाई, अपनी सुध विसरानी वे |
जा कारन तैं कुगति मिलत है, सो ही निजकर आनी वे || १ ||
झूठे सुख के काज सयानें, क्यौं पीड़ै है प्रानी वे |
दया दान पूजन व्रत तप कर, ‘बुधजन’ सीख बखानी वे || २ ||
Artist : कविवर पं. बुधजन जी