मैं देखा आतमरामा || टेक ||
रूप फरस रस गंध तैं न्यारा, दरस-ज्ञान-गुनधामा |
नित्य निरंजन जाकै नाहीं, क्रोध लोभ मद कामा || १ ||
भूख-प्यास सुख-दुख नहिं जाकैं, नाहिं वन पुर गामा |
नहिं साहिब नहिं चाकर भाई, नहीं तात नहिं मामा || २ ||
भूलि अनादि थकी जग भटकत, लै पुद्गल का जामा |
‘बुधजन’ संगति जिनगुरु की तैं, मैं पाया मुझ ठामा || ३ ||
Artist : कविवर पं. बुधजन जी