लघु सामायिक पाठ | Laghu Samayik Path

एक से पंच इन्द्रिय तक जीव सताया कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय।

असन निहार विहार में जीव सताया कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय।

राज चोर, भोजन तिया विकथा कीन्हीं होय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय।

आर्त्त रौद्र, दुर्ध्यान से कर्म बन्धे हों कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय ।

कुगुरु कुदेव कुधर्म की करी प्रशंसा कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय ।

पाँच पाप और सात व्यसन में पाप लगा जो कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय ।

जितनी वस्तु अभक्ष्य है, उनमें भक्षी कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय।

साधर्मी को देखकर ईर्ष्या उपजी कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय।

द्रव्य ठगा अन्याय से कभी किसी का कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय।

इस प्रकार से और भी जो पाप कमाये कोय।

तुम प्रसाद से परमगुरु सो सब मिथ्या होय ।

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