मेरे ज्ञायक मेरे भगवन मेरे चेतन राम…
तू ही है बस एक साथी…तू ही तारणहार…।।मेरे ज्ञायक …।।
मैं हूँ ज्ञायक मैं ही भगवन, मैं ही आतमराम …
मैं ही हूँ बस मेरा साथी, मैं ही जाननहार …
मेरे ज्ञायक मेरे भगवन मेरे चेतनराम ।।
पूर्ण हूँ मैं स्वयं से ही, तृप्ति का आधार …
हूँ निरालंबी सदा मैं, हूँ सदा निर्विकार…
मेरे ज्ञायक मेरे भगवन मेरे चेतनराम ।।
मैं नहीं जानू रे पर को … जानू आतम भाव …
मेरे ज्ञान में ज्ञायक ही है … स्वयं जाननहार …
मेरे ज्ञायक मेरे भगवन मेरे आतम राम ।।
है अनादि से ज्ञान का , स्व-पर प्रकाशक स्वभाव …
ज्ञान में ज्ञायक है तन्मय , पर को तो प्रतिभास…
मेरे ज्ञायक मेरे भगवन मेरे आतमराम ।।
आज तो सौभाग्य से मोहे, मिले गुरु कहान…
ज्ञान द्वार से दर्शाया, ज्ञायक का भंडार…
मेरे ज्ञायक मेरे भगवन मेरे आतमराम।।
देख कैसा है यहाँ , आनंद अपरंपार …
आनंद आनंद , है चिदानंद, आनंद अपरंपार…
मेरे ज्ञायक मेरे भगवन मेरे आतमराम।।
रचेयता: आदरणीय पंडित श्री राजेन्द्र जी जबलपुर
Singer: @Anushri_Jain