कौआ बोला काँव-काँव, जाऊँ तो मैं जाऊँ कहाँ
बिल्ली बोली म्याऊँ-म्याऊँ,कितने दुःख पाये यहाँ
चेतन राजा बतलाओ दुख से मुक्ति दिलवाओ
चेतन राजा बोला जिनवाणी को खोला ।
अपना आतम जानो निज में ही सुख मानो
पाप भाव को त्यागो अपने में ही लागो।।
दुःखों से मुक्ति पाओगे सिद्धपुरी को जाओगे।