Karma & Krambaddhparyay

मेरा एक ही प्रश्न हैं की कोई जीव भव्य हैं या अभव्य हैं यह केवली ने कैसे जाना हैं? कर्म के आधार पर भी जीव भव्य हैं या अभव्य हैं, यह नहीं पता चलता क्योंकि भव्यत्व पारिणामिक भाव हैं। इसलिए केवली भविष्य को जानते ही हैं, क्योंकि उन्होंने जीवो के भव्य और अभव्य बताये हैं।
और फिर कर्म के आधार पर तो केवल जीव का भविष्य जाना जा सकता हैं। क्या वे अजीव द्रव्यों का भविष्य नहीं जानते हैं। यदि जानते हैं तो कितना और कब तक का इसका नियम कैसे बताओगे?