Karma & Krambaddhparyay

केवलज्ञान में जगत के समस्त पदार्थो का भूत- वर्तमान - भविष्य झलकता है।
प्रश्न ? इस कारण तो नियतवाद सिद्ध हो जाएगा?
उत्तर - यदि सर्वज्ञ के ज्ञान में झलकने में और जगत के पदार्थों के तीन काल के परिणमन में कारक हेतु स्थापित किया जाएगा, तब तो यह दोष अवश्य आएगा, परन्तु ऐसा तो है नहीं।
सर्वज्ञ के ज्ञान में और जगत के पदार्थों के तीन काल के परिणमन में ज्ञापक हेतु है।
ये और अन्य भी तर्क न्याय शास्त्रों में आचार्य भगवन्तों ने सर्वज्ञ सिद्धि के प्रकरण में दिए है।
In simple words, केवल ज्ञान ने जाना, इसीलिए होगा - ऐसा नहीं; होगा, वैसा केवलज्ञान ने जाना।
अतः क्रमबद्ध/ क्रम नियमित पर्याय का स्वरूप/ तीन काल के परिणामों का केवलज्ञान के द्वारा नियतपना और जगत के प्रत्येक समय के स्वतंत्र परिणमन के होने में विरोध नहीं है, बस स्यादवाद का उपयोग कीजिए। स्यादवाद के बिना तो विरोध रहेगा ही और आप किसी एक को ही स्वीकार/समझ पाएंगे।
एकांत से तो समझ भी नहीं आएगा और स्यादवाद में विरोध भी नहीं रहेगा।
Also check दैव and पुरुषार्थ debate (by ones not using syadvad) and its solution (using syadvad) given by Acharya Samantbhadra Swami in 8th chapter of Aapta Mimansa.
Important point- सर्वज्ञता and the notion of क्रम बद्ध are parallel, they go hand in hand, acceptance of one results in acceptance of the other and non-acceptance of one results in non acceptance the other.
Or else, try to prove सर्वज्ञ without accepting क्रम बद्ध. You’ll end up proving krambaddh in the process of proving the existence of सर्वज्ञ.

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