करें भगत हो आरती जिनवाणी मैया ।
वाणी मैया होजिनवाणी मैया ॥ करें ||
कौन के मुख सेवाणी खिरी जिनवाणी मैया ।
तीर्थंकर के मुख से खिरी जिनवाणी मैया || करें।
अरहंत सिद्ध आचार्य उपाध्याय साधु भैया ।
सब ही तेरेगुण गायें, जिनवाणी मैया ॥1॥
जिसमें तुमको अपनेमन में बिठाया मैया ।
उसने जीवन का सुख सांचा पाया मैया ||2||
सात तत्त्व और छह द्रव्यों को बतावें मैया ।
मुक्ति महल का पथ हमको दिखलावे मैया ॥3