जिया तुम चालो अपने देस, शिवपुर थारो शुभथान।
लख चौरासी में बहु भटके, लह्यो न सुख को लेस ॥
मिथ्या रूप धरे बहुतेरे, भटके बहुत विदेस।
विषयादिक से बहु दुख पाये, भुगते बहुत कलेस ॥
भयो तिर्यंच नारकी नर सुर, करि करि नाना भेस।
‘दौलतराम’ तोड़ जग-नाता, सुनो सुगुरु उपदेस ॥
Artist: कविवर श्री दौलत राम जी