४. आवश्यक
जिनवर पूजा मंगलकारी, गुरु उपासना आनंदकारी।
स्वाध्याय सद्ज्ञान प्रकाशे, संयम से सब दु:ख विनाशे।।1।।
तप सब कर्म नशावनहारा, उत्तमदान सर्व सुखकारा।
षट् आवश्यक नित पालीजे, धर्माराधन में चित्त दीजे ॥२॥
४. आवश्यक
जिनवर पूजा मंगलकारी, गुरु उपासना आनंदकारी।
स्वाध्याय सद्ज्ञान प्रकाशे, संयम से सब दु:ख विनाशे।।1।।
तप सब कर्म नशावनहारा, उत्तमदान सर्व सुखकारा।
षट् आवश्यक नित पालीजे, धर्माराधन में चित्त दीजे ॥२॥