जिनवर की परमार्थ भक्ति करेंगे | Jinvar Ki Parmarth Bhakti Karenge

जिनवर की परमार्थ भक्ति करेंगे |

भक्ति करेंगे, आनंद लहेंगे || टेक ||

प्रभुवर ने हमको ज्ञायक बताया |

रागादि भावों से न्यारा दिखाया ||

स्वानुभव प्रमाण कर श्रद्धा धरेंगे |

श्रद्धा धरेंगे, आनंद लहेंगे || 1 ||

प्रभुवर प्रमाण से बाहर ना आयेंगे |

प्रमाण में भी नहीं अटकायेंगे ||

शुद्धनय से आत्मा का अनुभव करेंगे |

अनुभव करेंगे, आनंद लहेंगे || 2 ||

पर्याय से अनित्य हो तो भले हो |

द्रव्य से नित्य हो तो भले हो ||

चित्स्वरूप तो चित्स्वरूप अनुभव करेंगे |

अनुभव करेंगे, आनंद लहेंगे || 3 ||

निर्ग्रन्थ निर्द्वन्द भगवान आत्मा |

ज्ञानमात्र ज्ञानमूर्ति सहज परमात्मा ||

निर्ग्रन्थ हो नित ध्यान धरेंगे |

ध्यान धरेंगे, आनंद लहेंगे || 4 ||

विभाव संयोग भी दूर होयेंगे |

स्वाभाविक परिणाम अनंत रहेंगे ||

ज्ञाता रहेंगे, आनंद लहेंगे |

आनंद लहेंगे पर ज्ञाता रहेंगे || 5 ||

Artist: ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’

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Ye kaunsi book mei hai?

जिनवर स्तवन - ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
page no. 41