जिनराज तेरी महिमा, मुख से न कही जाए।
तेरी छवि नयनों में, चेतन छवि दर्शाए ।।टेक।।
रागादि से है न्यारा, पर्यायों से है पारा।
सदा पूज्य आत्मदेवा, तिहुँ लोकों में है न्यारा।।
ज्ञानानंद का है धारी, यह दिव्यध्वनि में आये ।।जिनराज…।।1।।
है अगम अगोचर ज्ञायक, निज का महानायक।
ज्ञानानंद का दरिया, सुखमय चिन्मय ज्ञायक।।
उपदेश तेरा पावन, हर पल यही दर्शाए ।।जिनराज…।।2।।
ज्ञानमय ज्ञायक प्रभुवर, तू अखंड निजातम है।
अनंत शक्ति का भंडारा, तू अचल परमातम है।।
हर जीव है परमातम, जिनवाणी यही बताए।। जिनराज…।।3।।