जिनमंदिर-जिनमंदिर आना सभी-२…
घर छोड़ कर, मोह छोड़कर।
जिनमंदिर मेरे भाई रोज है आना,
इसे याद रखना कहीं भूल ना जाना।। जिन…१।।
चार कषायें तुमने पालीं पाप किया,
नर भव अपना यूं ही तो बरबाद किया।
जैनी होकर जिनमंदिर को छोड़ दिया,
दुनियां के कामों में समय गुजार दिया।। जिन…२।।
जैनधर्म हम सबको ये सिखलाता है,
वस्तुस्वरूप स्वतंत्र है समझाता है।
जीव मात्र भगवान हमें सिखलाता है,
करो आत्मकल्याण समय अब जाता है।। जिन…३।।
क्यों जाता गिरनार अरे! जाता काशी,
घर में ही तो देख अरे! घट का वासी।
वीर प्रभू की दिव्यदेशना में आया,
अपना प्रभू तो अपने अंदर में छाया।। जिन…४।।