जिनको जिनधर्म सुहाया । Jinko Jindharm Suhaya

Version 1:

जिनको जिनधर्म सुहाया जिनराज हो गए।
वे तीन लोक के देखो सिरताज हो गए।।टेक।।

जंगल में मंगल स्वरूप निज आत्म तत्व को ध्याया।
मंगलमय मंगल स्वरूप शुद्धात्म तत्त्व दर्शाया।।
वे धरके दिगम्बर चोला, मुनिराज हो गए ।।1।।

समयसार ग्रंथाधिराज में ज्ञानस्वरूप दिखाया।
फिर प्रमत्त-अप्रमत्त दशा से निज को भिन्न बताया।।
जो पड़े अधूरे सारे अब काज हो गए ।।2।।

अनेकांत की छाया में मम एक स्वरूप दिखाया।
रहकर स्वयं अकर्ता हमको अकर्तृत्व दिखलाया।।
वो बिन बोले ही दिव्यध्वनि की आवाज़ हो गए ।।3।।

Version 2:

जिनको जिनधर्म सुहाया जिनराज हो गए
वो तीन लोग के देखो सिरताज हो गए
जिनको…

निज साधन से निज साधक को, जिनने साध्य बनाया।
जंगल में मंगल स्वरूप निज आत्म तत्व को ध्याया।।
वो धरके दिगंबर चोला, मुनिराज हो गए।।
जिनको जिनधर्म सुहाया…।।1।।

समयसार दर्पण में जिनको जाननहार जनाया।
फिर प्रमत्त अप्रमत्त दशा से खुदको भिन्न लखाया।।
जो पड़े अधूरे मानों, सब काज हो गए।।
जिनको जिन धर्म…।।2।।

अनेकांत की छाया में मुझे अनेकांत दिखलाया।
रहकर स्वयं अकर्ता मुझको अकर्तृत्व समझाया।।
वो बिन बोले दिव्यध्वनि की आवाज हो गए।।3।।

अहो प्रयोजन भूत तत्व जबसे दृष्टि में आया।
चक्रवर्ती और इंद्र संपदा को असार है पाया।।
वो खेल खेल में तारण तरण जिहाज हो गए।।4।।

क्रोध भाव से भिन्न निहारा क्षमा भाव प्रकटाया।
द्रव्य दृष्टि से देखा तो परमात्मपना ही पाया।।
जिनशासन का वो राज कर महाराज हो गए।।5।।

Artist: पंडित संजीव जी उस्मानपुर

9 Likes