झुलाय दइयो पलना धीरे धीरे… २ ॥
झिलमिल मोती झालर झूमे, मैया ललन का मुखडा चूमे
मुस्काय रहे ललना धीरे धीरे ॥
त्रिशला माता पलना झुलावे, सिद्धारथ नृप मोती लुटाये
सो जाओ रे ललना धीरे धीरे ॥
चंदन को पलना रेशम की डोरी, रतन जड़े हैं चारों ओरी
उनसे किरणें निकलना धीरे धीरे ॥
मंगल गीत गाय सुरनारी, बलि बलि जावे आज पुजारी
भवदधि तरना धीरे धीरे ॥