जीवन पथ दर्शन - ब्र. श्री रवीन्द्र जी 'आत्मन्' | Jeevan Path Darshan


29. सर्विस निर्देश

1. ऐसी सर्विस न करें, जिसमें नैतिकता का हनन हो । कुशील, हिंसादि का पोषण हो। अपने सामान्य नियमों का भी पालन न हो पावे। मन खिन्न तथा बोझिल रहे। पराधीनता एवं दीनता लगे। सामर्थ्य से अधिक कार्यभार हो, जिससे स्वास्थ्य बिगड़े या पारिवारिक व्यवस्थाएं बिगड़ें।

2. स्वच्छ छवि की प्रतिष्ठा बनाए रखें। रिश्वत लेकर अनैतिक कार्य न करें।

3. समय का ध्यान रखें, विलम्ब से आने या मनमाने ढंग से चाहे जब चले जाने की आदत न बनायें।

4. अपने विषय की प्रमाणिक एवं पर्याप्त जानकारी रखें। उचित सलाह दें।

5. सौहार्दता पूर्ण व्यवहार रखें। कार्य न कर पाने पर भी संतोष जनक उत्तर अवश्य दें।

6. दायित्व एवं अनुशासन का दृढ़ता से पालन करते हुए भी मानवता का ध्यान रखें ।

7. उत्तेजित न होवें । सत्याग्रह भी अनुशासन पूर्वक करें।

8. निर्दयता पूर्वक कठोर दण्ड न दें।

9. लोभवश अतिरिक्त समय काम, यथासम्भव न करें।

10. अत्यावश्यक न होने पर, अतिरिक्त कार्य, अधीनस्थ कर्मचारियों से न करायें।

11. एक का काम पक्षपात वश दूसरे पर न डालें।

12. चापलूसी करने वालों से सावधान रहें।

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