जीवन के किसी भी क्षण में | jeevan ke kisi bhi kshan me

जीवन के किसी भी क्षण में वैराग्य उमड़ सकता है ।
संसार में रह कर प्राणी संसार को तज सकता है ।।

कहीं दर्पण देख विरक्ति कोई मृतक देख वैरागी।
बिन कारण दीक्षा लेता वह पूर्व जनम का त्यागी ।।
निर्ग्रन्थ साधु ही चित्त में सद्गुण से सज सकता है।
संसार में रह कर प्राणी संसार को तज सकता है ।।१।।

आत्मा तो अजर अमर है हम आयु गिनें इस तन की।
वैसा ही जीवन बनता जैसी धारा चिन्तन की ।।
वह सबको समझा पाता जो स्वयं समझ सकता है।
संसार में रह कर प्राणी संसार को तज सकता है ।।२।।

शास्त्रों में सुने थे जैसे वैसे ही देखे मुनिवर।
तेजस्वी परम तपस्वी उपकारी जिनवर नन्दन ।।
इनकी मृदु वाणी सुनकर हर प्रश्न सुलझ सकता है।
संसार में रह कर प्राणी संसार को तज सकता है।।
जीवन के किसी भी क्षण में वैराग्य उमड़ सकता है ।।३।।

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