जीवन है पानी की बूंद | Jeevan hai Pani ki bund

जीवन है पानी की बूंद कब मिट जाए रे
होनी अनहोनी कब क्या घट जाए रे।।

पढ़ा न जरा विचारा है, खुद को नहीं सुधारा है।
खुद को नहीं सुधारा है, इसीलिए अधियारा है।।
इसलिए अँधियारा है, दिल में नहीं उतारा है।
खुद को ही पढ़ ले, सब कुछ पढ़ जाए रे ।।१।।

करना है वो आज करें , कल पर मत विश्वास करें।
कल पर मत विश्वास करो, आज करो वो अभी करो।।
कल को किस ने देखा है, कल का नहीं भरोसा हैं।
कल-कल करके तू, क्यों अकल गॅवाये रे।।२।।

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