जीवा ! शूं कहिये तनैं भाई |
पोता नूं रूप अनूप तजी नैं, शा माटैं विषयी थाई || टेक ||
इन्द्रीना विषय विषथकी, मोटा ज्ञान नू अमृत गाई |
अमृत छोड़ीनैं विषय विष पीधा, साता तो नथी पाई || १ ||
नरक निगोदना दुःख सह आव्यो, बली तिहनैं मग धाई |
एहवी बात रूड़ी न छै, तमनैं तीन भवन ना राई || २ ||
लाख बातनी बात ए छै, मूकीनै विषय - कषाई |
‘घानत’ ते वारै सुख लाधौ, एम गुरु समझाई || ३ ||
Artist- पं. घानतराय जी