जाऊँ कहाँ तज शरन तिहारे | Jaun kahan taj sharan tihare

जाऊँ कहाँ तज शरन तिहारे ।।टेक।।
चूक अनादितनी या हमरी, माफ करो करुणा गुन धारे।।1।।
डूबत हों भवसागरमें अब, तु बिन को मुह वार निकारे।।2।।
तु सम देव अवर नहिं कोई, तातै हम यह हाथ पसारे।।3।।
मो-सम अधम अनेक उधारे, वरनत हैं श्रुत शास्त्र अपारे।।4।।
‘दौलत’ को भवपार करो अब, आयो है शरनागत थारे ।।5।।

Artist - पंडित दौलतराम जी

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