जपि माला जिनवर नामकी
(राग सारङ्ग)
जपि माला जिनवर नाम की ।
भजन सुधारससों नहिं धोई, सो रसना किस काम की ।।जपि. ।।
सुमरन सार और सब मिथ्या, पटतर धूंवा नाम की ।
विषम कमान समान विषय सुख, काय कोथली चाम की ।१। जपि. ।
जैसे चित्र-नाग के मांथै, थिर मूरति चित्राम की ।
चित आरूढ़ करो प्रभु ऐसे, खोय गुंडी परिनाम की ।।२ ।।जपि. ।।
कर्म बैरि अहनिशि छल जोवैं, सुधि न परत पल जाम की ।
`भूधर’ कैसैं बनत विसारैं, रटना पूरन राम की ।।३ ।।जपि. ।।
रचयिता: कविवर श्री भूधरदास जी
Source: आध्यात्मिक भजन संग्रह (प्रकाशक: PTST, जयपुर )