जल भरि-भरि लाओ..। Jal bhari bhari laao

जल भरि-भरि लाओ, अपनी सखियों को बुलाओ,
आजा माता को न्हवन कराना है ओ…
कोई मङ्गल गीत सुनाओ, सिद्धों का सन्देश सुनाओ,
आज माता का मन बहलाना है ॥ टेक ॥

कोई माता को सारी पहनाओ जी पहानाओ,
कोई माता को बिंदिया लगाओ जी लगाओ ।
कोई माता को हार पहनाओं जी पहनाओं,
चेतन चंद्र उदर में आयो, तन मन में अमृत बरसायो ।
आज माता का मन बहलाना है।। १ ।।

कोई माता को तिलक लगाओ जी लगाओ,
सुत त्रिभुवन तिलक है आयो जी आयो ।
सब माता की भक्ति रचाओ जी रचाओ,
निर्मल जल से चरण पखारो, निज परिणति को शुद्ध बनाओ,
आज माता का मन बहलाना है ॥ २ ॥

कोई माता को कंगन पहनाओ जी पहनाओ जी,
शुद्ध आतम का दर्शन पाओ जी हाँ पाओ ।
निज जीवन सफल बनाओ जी बनाओ,
अन्तिम भवधारी सुत आयो, माताजी को मन हरषाओ,
आज माता का मन बहलाना है ॥ ३ ॥

कोई माता को दर्पण दिखाओ जी दिखाओ,
ज्ञेयाकारों में ज्ञान दिखाओ जी दिखाओ ।
निज आतम को लक्ष बनाओ जी बनाओ
दर्पण सम निज ज्ञान लखाओ पर परिणति से चित्त हटाओ,
आज माता का मन बहलाना है ॥ ४ ॥

Artist: सनावद मंडली एवं पं. अभयकुमार जी देवलाली

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