ओम् को नमन : ओंकार को नमन ।
अरहन्त् को नमन : सिद्ध प्रभु को नमन ।
आचार्य को नमन : उपाध्याय को नमन ।
सर्व साधु को नमन : जिन धर्म को नमन ॥
ओम् मंगलम् : ओंकार मंगलम् ।
अरहन्त मंगलम् : सिद्ध प्रभु मंगलम् ।
आचार्य मंगलम् : उपाध्याय मंगलम् ।
सर्व साधु मंगलम् : जिन धर्म मंगलम् ॥
ओम् उत्तमम् : ओंकार उत्तमम् ।
अरहन्त उत्तमम् : सिद्ध प्रभु उत्तमम् ।
आचार्य उत्तमम् : उपाध्याय उत्तमम् ।
सर्व साधु उत्तमम् : जिन धर्म उत्तमम् ॥
ओम् शरणम् : ओंकार शरणम् ।
अरहन्त् शरणम् : सिद्ध प्रभु शरणम् ।
आचार्य शरणम् : उपाध्याय शरणम् ।
सर्व साधु शरणम् : जिन धर्म शरणम् ॥
शीर्षक
हमारे पंच परमेष्ठी
चाहे अंधियारा हो…
ज्ञानी का ध्यानी का…
मंदिरजी में घंटा बाजे…
चलो रे भाई अपने वतन को चलें
मेरा वीर बनेगा बेटा
शुद्ध त्रिकाली परमात्मा
उठें सबके कदम
बारह खड़ी
आओ जाने (वन-टू-टेन)
आओ सीखें गिनती
जय जिनेंद्र
भावना की चुनरी
लुट रहा लुट रहा
जयघोष
वीतराग
हम लाऐ हैं विदेह से
यहीं आतम को पा जावें
पूज्य गुरुदेव
हर आत्मा में
मीठे रस से
गुड्डू एक लड्डू को पाकर
आओ तुम्हें
निर्ग्रन्थों का मार्ग
आया कहां से
चैतन्य चमत्कार
अरहंत तो शरीर सहित हैं।
चार कर्म से वे तो रहित हैं ।।
अनंत चतुष्टय के वो धनी हैं।
राग द्वेष से वो तो रहित हैं ।।
सिद्ध प्रभु का शरीर नहीं है ।
अष्टकर्म से वे तो रहित हैं ।।
निराकार अविचल निर्मल हैं।
अपने में ही रहे मगन हैं ।।
आचार्यों के पीछी कमण्डलु ।
रत्नत्रयधारी हैं गुरुवर ।।
दीक्षा देते - शिक्षा देते।
मुनिसंघ के नायक गुरुवर ।।
उपाध्याय का ज्ञान है निर्मल ।
निज स्वरुप में रहते मुनिवर ।।
जैन शास्त्र के ज्ञाता मुनिवर ।
द्वादशांग के पाठी मुनिवर ।।
सर्व साधु हैं सबसे निराले ।
ज्ञान ध्यान में रहते हैं सारे ।।
ऐसे पाँचो परमेष्ठी हमारे ।
लगते हैं हमको प्राणों से प्यारे ।।
ज्ञानी का ध्यानी का सबका कहना है
एक आत्मा ही सच्चा गहना है
सोना चाँदी पुद्गल की सेना है ॥ टेक ॥
पर को अपना माने यही है तेरी भूल
रमजा निज में चेतन खिलेंगे समकित फूल
संयम की साधना से ही रहना है
ज्ञानी का ध्यानी का…
आलू जो खाते हैं वो बन जाते भालू
चाकलेट जो चूसते हैं वो बन जाते चालू
नरक गति की वो यात्रा कर आते
ज्ञानी का ध्यानी का…
जीवन के दुःखों से जो डरते नहीं हैं
ऐसे ज्ञानी बच्चे कभी रोते नहीं हैं
सुख की है चाह तो दुःख भी सहना है।
एक आत्मा ही …
सत्य अहिंसा सदाचारमय जीवन जिसका है,
देव शास्त्र गुरु की वाणी पर श्रद्धा रखता है।
मोक्ष महल की सीड़ी पर चढ़ जाता है।
एक आत्मा ही एक आत्मा ही…