जय जय जय जिनवर, अंतर्दृष्टि तुम सम | jai jai jai jinvar, antardrashti tum sum

जय जय जय जिनवर हो ऽऽऽ जय जय जय जिनवर।
अंतर्दृष्टि तुम सम होवे, दो मुझको वह वर।।टेक।।

विशद् स्वच्छ द्युति आप जिनेश्वर, राग-द्वेषमय मल से हीन।
निर्मल दर्पण तुल्य स्वभावी, सुख दुख समरस निज आधीन।।
वीतराग सर्वज्ञ जिनेश्वर, त्रिभुवन स्वामी प्रवर।।१।।

हे जिनेन्द्र तुम समदृष्टि धर, योगी जन निज को ध्याते।
तुम प्रभाव से तज विभाव वे, तेरे ही सम हो जाते ।।
मोह अंधेरा हरने वाले, अविनाशी दिनकर।।२।।

केवल एक आपने प्रभुवर, मार्ग मुक्ति का दिखलाया।
औरों ने तो चारों गति में, सदा भटकना सिखलाया।।
अशरण लागा सारा जग अब, आया तेरे दर।।३।।

रचियता - डॉ. विवेक जैन, छिंदवाडा


Singer: @Asmita_Jain

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