जय हो जय हो परम जिनराज..Jai Ho Jai Ho Param Jinraaj

जय हो जय हो परम जिनराज
दरस से आज, मुदित-मन आँगन है ।

मुदित-मन आँगन है, मुक्ति का सावन है ॥ जय हो…टेक॥

सूरत सुहानी सुधी सुखदानी -2
विरागी विमोही विभु विश्व-ज्ञानी ।

हो दर्पण भविक-मनहार, करें शृंगार
मुदित मन आँगन है ।

गाओ गाओ रे मंगलाचार, दरस से आज
मुदित मन आँगन है ।।

मुदित मन आँगन है, मुक्ति का साधन है ।। जय हो…॥1॥

वाणी तुम्हारी, सुभाषितानी -2
दे बोधि समाधि करे दुख हानि ।

ओ तीर्थंकर तारणहार, सुनो मनुहार
मुदित मन आँगन है ।

पाये पाये श्री जिनराज, श्रवण से आज
मुदित मन आँगन है ।।

मुदित मन आँगन है, मुक्ति का साधन है ।। जय हो…॥2॥

वैराग्य धारा, चेतन सम्हारा -2
भवभीत भविजन को मारग दिखाया ।

साधु! सिद्ध करो उपकार, हरो संसार
मुक्ति का सावन है ।

पाये-पाये महा मुनिराज, दरस से आज
मुदित मन आँगन है ।। जय हो…॥3॥

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