जहाँ महावीर ने जन्म लिया, मैं गीत वहां के गाता हूँ | जिसका कण-कण पावन है, मैं उस भू को शीश नवाता हूँ ||
थी चेत सुधि तेरस महान, अवतरित धरा पर वीर हुआ |
भूमण्डल पर छा गयी शांति, जब महावीर का जन्म हुआ |
इस पावन भू की महिमा सुन, मैं रोज रोज हर्षाता हूँ || (1)
सिद्धार्थ पिता का नौनिहाल, जग की आँखों का तारा था |
त्रिशला माँ के दिल से पूछो वो उनका राज दुलारा था |
उस वीर प्रभु की महिमा सुन, मैं नित-नित शीश झुकता हूँ || (2)
तुम जियो सभी को जीने दो, था धर्म यही जो बतलाया |
हिंसा से मुक्ति नहीं मिलती, ये सबके दिल में ठहराया |
उस वीर प्रभु की पूजा में, श्रद्धा के सुमन चढ़ाता हूँ || (3)