जागो जी माता जागन घड़ियाँ आई -२
उदयाचल से भानू जागा, नव किरणें उमगाई -२
जागो जी माता जागन घड़ियाँ आई -२
सृश्टि का श्रृंगार मनोरम गाते पंक्षी मधुरिम - मधुरिम -२
प्रात लालिमा छाई
जागो जी माता जागन घड़ियाँ आई -२
सुरबालायें मिलकें उठायें, मधुरिम स्वर में गीत सुनायें - २
तज दो भायन वामा माई
जागो जी माता जागन घड़ियाँ आई -२
सुखकारिणी - हितकारिणी माता, रत्न कुक्षी धारिणी जगमाता - २
नारी में श्रेश्ठ कहाई
जागो जी माता जागन घड़ियाँ आई -२
रचयिता - डॉ. विवेक जैन, छिंदवाडा