जब जन्मे तीर्थंकर, तब सारी धरती पर,
इक हर्ष छाया, कि चारों ओर हर्ष छाया;
जन-जन के अंतर में, हम सबके अंतर में,
इक हर्ष छाया, कि चारों ओर हर्ष छाया।।टेक।।
थी नरकों में भी शांति पड़ी, जिस पल प्रभुजी ने जन्म लिया
सारा भूमंडल नाच उठा, देवों ने जयजयकार किया
फिर सारी धरती पर, और सारे अम्बर में
इक हर्ष छाया कि, चारों ओर हर्ष छाया।।१।।
सौधर्म हजारों नेत्र धरे, फिर बाल प्रभु की छवि निरखे
रत्नों की वर्षा स्वर्ग से हो, और इन्द्र इन्द्राणी नृत्य कों
फिर सारी, धरती पर, और सारे अम्बर में
इक हर्ष छाया कि चारों ओर हर्ष छाया।।२।।
घर-घर में बधाई-बजने लगी, दुल्हन-सी नगरी सजने लगी
देवों ने मङ्गलगान किया, फिर बाल प्रभु का न्हवन किया
फिर सारी धरती पर और सारे अम्बर में
इक हर्ष छाया कि चारों ओर हर्ष छाया।।३।।