शांति कुंथु अरनाथ प्रभु से यह वसुधा महकाती है ।
इतिहासों की स्वर्णभूमि हस्तिनापुरी कहलाती है ।।
गर्भ हुआ था, जन्म हुआ था, जन्म मरण ना भाया ।
दीक्षा लेकर, वन में तप तपकर, केवलज्ञान को पाया ।
इसी धरा पर हुए प्रभु के कल्याणक सुखकारी ।
कामदेव चक्री तीर्थंकर की पदवी भी धारी ।।
आज भी जिसकी बूंदें हमको जिनवच से नहलाती है ।। इतिहासों की…
लौकिक पदवी, सारी त्यागी, निज स्वरूप को साधा ।
छह खंडों का, वैभव सारा , डाल न पाया बाधा ।
मोक्ष महल की ओर बढ़े वे तीनों ही तीर्थेश्वर ।
कण कण है स्वाधीन बताया हर प्राणी परमेश्वर ।
आज तलक उस वसुंधरा पर धर्म ध्वजा फहराती है ।। इतिहासों की…
Lyrics by- @Samkit_Jain1