इक्षु रस का किया पारणा, आखा तीज महान।
जय जय आदीनाथ भगवान।।टेक।।
एक वर्ष आहार न पाया, ऐसा कर्म उदय में आया।
फिर भी समता भाव धराया आतम में ही चित्त लगाया।
जग की प्रतिकूलताओं में, किया भेदविज्ञान।।१।।
ऐसी कठिन आँकड़ी लेकर, निकले थे मुनिराज।
सारा जग हैरान हो गया, क्या दें हम महाराज।।
नृप श्रेयास स्वप्न फिर देखे आहार विधि महान।।२।।