हमको भी बुलवालो स्वामी, सिद्धों के दरबार में ।।टेक ।।
जीवादिक सातों तत्वों की, सच्ची श्रद्धा हो जाये ।।
भेदज्ञान से हमको भी प्रभु, सम्यग्दर्शन हो जाये ।
मिथ्यातम के कारण स्वामी, हम डूबे संसार में ।।
हमको भी बुलवालो स्वामी ।।१।।
आत्मद्रव्य का ज्ञान करें हम, निज स्वभाव में आ जायें।
रत्नत्रय की नाव बैठकर, मोक्ष भवन को पा जायें ।
पर्यायों की चकाचौंध से, बहते हैं मझधार में ।।
हमको भी बुलवालो स्वामी ।।२।।