हम जैन धरम के बच्चे हैं। Hum Jain Dharam Ke Bacche hain

हम जैन धरम के बच्चे हैं।
पर नहीं श्रद्धा के कच्चे हैं। टेक ॥।

वीतराग देव को मानेंगे। निर्ग्रंथ गुरु को जानेंगे ।। 1 ।।

स्याद्वादमय’ माँ जिनवाणी। समझेंगे, समझायेंगे ।।2।।

सत्य-अहिंसा धर्म है सम्यक् जीवन में अपनायेंगे ।। 3 ।।

नहीं भ्रमेंगे नहीं रुलेंगे। मुक्तिमार्ग में आयेंगे ।। 4 ।।

राग-द्वेष का नाश करेंगे। ज्ञानानन्द बढ़ायेंगे ।। 5 ।।

उक्त रचना में प्रयुक्त हुए कुछ शब्दों के अर्थ
१. स्याद्वादमय = अपेक्षा से कथन करना

पुस्तक का नाम:" प्रेरणा " ( पुस्तक में कुल पाठों की‌ संख्या =२४)
पाठ क्रमांक: ०८
रचयिता: बाल ब्र. श्री रवीन्द्र जी 'आत्मन् ’