हितोपदेश | Hitopdesh

उत्तम संगति ही तुम करना, उत्तम पुस्तक ही तुम पढ़ना।
सादा जीवन उच्च विचार, उन्नति का ये ही आधार।।

खोटी चिंता में नहीं घुलना, तत्त्व विचार सदा ही करना।
खोटे वचन न कभी बोलना, साँच बिना मुख नहीं खोलना।।

हित मित अरु प्रिय वचन उचरना, धर्म अहिंसा पालन करना।
जिन आज्ञा मस्तक पर धरना, रत्नत्रय पथ पर नित बढ़ना।।

दूर प्रपंचों से तुम रहना, समता से कष्टों को सहना।
जिन शासन की शान बढ़ाना, नहीं माता का दूध लजाना।।

Artist: बाल ब्र. श्री रवीन्द्रजी ‘आत्मन्‌’
Source: बाल काव्य तरंगिणी