(तर्ज : मैं ज्ञानानन्द स्वभावी हूँ…)
हे वीरनाथ! हे वीरनाथ! मैं भक्तिभाव से नमन करूं।
हूँ सहजरूप चैतन्यनाथ, अनुभवन करूँ-2 ।।
निष्काम ब्रह्ममय बालयति, मैं भक्तिभाव से नमन करूं।
हूँ सहज परम निष्काम ब्रह्म, अनुभवन करूँ-2 ।।(1)
हे अनन्त चतुष्टय रूप देव, मैं भक्तिभाव से नमन करूँ।।
हूँ सहज चतुष्टयवन्त सदा, अनुभवन करूँ-2 ।।(2)
कृतकृत्य स्वयं में तृप्त प्रभो, मैं भक्तिभाव से नमन करूँ।।
परिपूर्ण स्वयं में सदा प्रभो, अनुभवन करूँ-2 ।।(3)
है महाभाग्य पाया जिनशासन, दुर्भावों का शमन करूं।
ध्रुवधाम परम अभिराम अहो, चैतन्य सदन में वास करूँ।।(4)
प्रभुरूप सुहाया है मुझको, मैं भक्तिभाव से नमन करूं।
हूँ परम पारिणामिक प्रभु मैं, अनुभवन करूँ-2 ।।(5)
Artist - ब्र. श्री रवीन्द्र जी ‘आत्मन्’
Singer: @Asmita_Jain