हे तीन भुवन के स्वामी, सुनो | he teen bhuvan ke swami suno

हे तीन भुवन के स्वामी, सुनो मेरी करुण कहानी
चारों गतियों में भ्रमकर, अब पाई है जिनवाणी ॥ टेक॥

अज्ञान अंधेरा छाया, भोगों से मन अकुलाया।
प्रभु तुम जैसा बनने को, शुभभाव हृदय में आया।
मेटो अज्ञान महातम, हो सफल मेरी जिन्दगानी ॥
चारों गतियों में भ्रमकर… ॥१॥

अब तक देखें पर अवगुण, निज के गुण नहिं पहचाने।
कभी निजस्वरूप नहिं जाना, रहें सिद्धों से अनजाने ।
जब आत्मधर्म प्रगटाऊँ, मुक्ति है जिसकी निशानी।
चारों गतियों में भ्रमकर… ॥२॥

जलबूंद सा मेरा जीवन, इस पर मैं क्या इतराऊँ।
पर से ना प्रीति लगाऊँ, बस अपने में रम जाऊँ॥
संयम धारो सुख पाओ, कहते हैं गणधर ज्ञानी।
चारों गतियों में भ्रमकर… ॥३॥

जिनको साथी समझा था, वे भी कब साथ निभाते ।
है ज्ञान मात्र निज ज्ञायक, जिसमें है ज्ञेय झलकते ।।
हूँ दर्शन-ज्ञान स्वरूपी, मेरी चैतन्य निशानी ॥
चारों गतियों में भ्रमकर… ॥४॥

Singer: @Asmita_Jain

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