हठीला गुड्डू | Hathila Guddu

गुड्डू एक लड्डू को पाकर,
रोने लगा कोने में जाकर।
मेरा लड्डू छोटा भाई,
बड़ा मिले तो खाऊँ माई ।।
सबने तब तक लड्डू खाया।
कोने में एक बिच्छू आया।
डंक लगा तो रोया गुड्डू,
चूहे खा गये उसका लडडू।।
गुड्डू ने ये सौगंध खाई,
हठ न करूँगा कभी भी भाई।।
हमने भी ये सौगन्ध खाई,
जिद न करेंगे कभी भी भाई ।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी