हमारो कारज कैसै होइ |
कारण पंच मुकति के, तिन में के हैं दोय || टेक ||
हीन संघनन लघु आऊषा, अलप मनीषा जोइ |
कच्चै भाव न सधै साली, सब जग देख्यौ होइ || १ ||
इन्द्री पंचसु विषयनि दोरै, मानै कहया न कोइ |
साधारन चिरकाल वस्यौ मैं, धरम बिना फिर सोइ || २ ||
चिंता बडी न कछु बन आवै, अब सब चिंता खोई |
‘द्यानत’ एक शुद्ध निज पद लखि, आप में आप समोई || ३ ||
Artist- पं. द्यानतराय जी