ज्ञायक ज्ञायक गाऊँगा | Gyayak Gyayak Gaunga

दादी - दर्शन ज्ञान स्वभाव तुम्हारा,
सबके मन को भाते हो।
राग-द्वेष हैं संग तुम्हारे
इससे कष्ठ उठाते हो ।।

जिनेश - ज्ञायक मुझे बता देना,
रत्लत्रय से सजा देना,
मुनि बन वन को जाऊँगा,
ज्ञायक ज्ञायक गाऊँगा।।

Artist: बाल ब्र. श्री सुमत प्रकाश जी
Source: बाल काव्य तरंगिणी