(तर्ज : केशरिया-केशरिया …)
ज्ञानमयी ज्ञानमयी, ज्ञानमयी आनन्दमयी। टेक।।
द्रव्य हमारा ज्ञानमयी, क्षेत्र हमारा ज्ञानमयी।
काल हमारा ज्ञानमयी, भाव हमारा ज्ञानमयी।।
लक्षण हमारा ज्ञानमयी, लक्ष्य हमारा आनन्दमयी।
निश्चय हमारा ज्ञानमयी, व्यवहार हमारा ज्ञानमयी।।
सर्वस्व हमारा ज्ञानमयी…।।1।।
देव हमारे ज्ञानमयी, गुरू हमारे ज्ञानमयी।
धर्म हमारा ज्ञानमयी, तीर्थ हमारा ज्ञानमयी ।।
जिनवाणी है ज्ञानमयी, आराधन है ज्ञानमयी।
भक्ति हमारी ज्ञानमयी, श्रद्धा भी है ज्ञानमयी।।
चर्या हमारी ज्ञानमयी…।।2।।
भक्ति-भावना द्रव्य हमारा ज्ञानमयी, गुण-पर्याय भी ज्ञानमयी।
वैभव हमारा ज्ञानमयी, प्रभुता हमारी ज्ञानमयी।।
मुक्ति का मारग ज्ञानमयी, मुक्ति हमारी ज्ञानमयी।
जीव मात्र है ज्ञानमयी, होवे प्रभावना ज्ञानमयी।।
सर्वांग हमारा ज्ञानमयी…।।3।।