ज्ञानी का ध्यानी का, सबका कहना है,
एक आतमा , सच्चा गहना है।
सोना चाँदी पुद्गल की सेना है…।।टेक।।
मेरे प्रभुवर हाँ तुम, सबसे अच्छे हो।
सबसे अच्छे हो, तुम सबसे अच्छे हो।
मैं भी बनूँ तुमसा, निज में रहना है, एक आतमा.।।१।।
परमें तू क्यों भटका, यही है तेरी भूल।
निज में रमजा, चेतन , खिलेंगे समकित फूल।
संयम की साधना में रत रहना है, एक आतमा…।।२।।
रत्नत्रय की भक्ति, सब जीवों को प्राप्त हो।
दर्शन ज्ञान चरित, सबके उर में व्याप्त हो।
चैतन्य आतमा में रत रहना है, एक आतमा…।।३।।