ज्ञान बिन थान न पावौगे | Gyaan bin than n pavoge

ज्ञान बिन थान न पावौगे, गति गति फिरौगे अजान |
गुरु उपदेश लह्यौ नहिं उर में, गह्यौ नहीं सरधान || टेक ||

विषयभोग में राचि रहे करि, आरति रौद्र कुध्यान |
आन-आन लखि आन भये तुम, परनति करि लई आन || १ ||

निपट कठिन मानुष भव पायौ, और मिले गुनवान |
अब ‘बुधजन’ जिनमत को धारौ, करि आपा पहिचान || २ ||

Artist : कविवर पं. बुधजन जी

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