गुरु समान दाता नहिं कोई | Guru saman Daata nahi koi

गुरु समान दाता नहिं कोई |
भानु प्रकाश न नाशत जाको, सो अंधियारा डारै खोई || टेक ||

मेघ समान सबन पै बरसै, कछु इच्छा जाके नहिं होई |
नरक पशू गति आग माहिं तैं, सुरग मुकत सुख थापै सोई || १ ||

तीन लोक मन्दिर में जानौ, दीपकसम परकाशक लोई |
दीप तलैं अंधियार भरयो है, अन्तर बाहिर विमल है जोई || २ ||

तारन - तरन जिहाज सुगुरु हैं, सब कुटुम्ब डोवै जगतोई |
‘द्यानत’ निशिदिन निरमल मन में, राखो गुरु - पद पंकज दोई || ४ ||

Artist- पं. द्यानतराय जी

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