गिरनारी पर तप कल्याणक | girnari pr tap kalyanak

गिरनारी पर तप कल्याणक, नेमि बनेंगे मुनिराज रे॥

प्रभुजी बारह भावना भायें, परिणति में वैराग्य बढ़ायें,
हम भी बनेंगे मुनिराज रे ॥१॥

शुद्धातम रस को ही चाहे विषय भोग विष सम ही लागें,
राग लगे अंगार रे ॥२॥

प्रभुजी वेश दिगम्बर धारें, चेतन की निर्ग्रन्थ निहारें,
बरसे आनन्द धार रे ॥३॥